Tuesday, September 22, 2009
पैदल से होंडा सिटी का सफ़र चार साल में सिर्फ फिल्म सिटी ही करा सकता है
(सीधे फिल्म सिटी से).... अंक - 3
क्या संभव जी रजनीगंधा से यहां आते ही थक गए, अचानक गुप्ता जी कोल्ड्रिंक्स की बोतल बढ़ाते हुए बोले। मैं कुछ कहता कि सामने एक होंडा सिटी कार आ कर रुकी. काले रंग का शीशा नीचे गिरा और एक लड़की ने 500 का नोट बढ़ाते हुए मालबोरो का पैकेट मांगा. बाबा रे॥ये क्या...स्टीयरिंग व्हील्स पर सुघीर जी.....कल रात 377 पर रामदेव से उलझे हुए थे… और यहां एक सुन्दर बाला के साथ. पीछे का शीशा उतरा तो दो साफ़-सुथरे… कह सकते हैं चिकने चुपड़े लड़के बैठे हुए थे. लगता है एंकर बाबू काफी ब्रॉडमाइंडेड हैं. इनका टीम वर्क में काफी विश्वास है. कहते हैं ना कि इनपुट और आउटपुट अगर एक साथ काम करें तभी टीआरपी बढ़ सकती है, और ये चारो लगता है कि आज प्राइम टाइम में टीआरपी बढा कर ही मानेंगे.
गुप्ता जी चेंज देकर कहते हैं... संभव भाई, पैदल से होंडा सिटी का सफ़र चार साल में सिर्फ फिल्म सिटी ही करा सकता है. लेकिन नर हो या मादा पहले आपको इसी होंडा सिटी के पीछे वाली सीट पर बैठना पड़ता है. और हां… अब तो वो कानून भी बनने जा रहा है, क्या बोलते हैं....377।
ओहो... सामने से “संकाल” जी भी आ रहे हैं. पहले प्रिंट में थे, अभी-अभी इलेक्ट्रॉनिक में आये हैं. हमेशा खिसियाए रहते हैं. जैसे पूरी फिल्म सिटी इन्हें चिढा रही हो. संकाल जी खिचड़ी काले-सफ़ेद बाल....मुह में हमेशा तिरंगा गुटका. पहले कुरता जींस और चप्पल में और अब शर्ट-पैंट और जूते में. बिहार के मधुबनी के रहने वाले बात-बात में माँ बहन की गाली, गुटके की पीक के साथ निकलती है. साल दो साल पहले चालू हुए अख़बारों को छोड़ दे तो पत्रकारिता के 26 सालों में शायद ही कोई अख़बार उनकी सेवा से वंचित रहा होगा. फिलहाल एक हिंदी चैनल के खेल संपादक हैं. उनका सबसे बड़ा दुश्मन उनका ज्ञान है और उस पर से गलती कर बैठे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में आ के. तो क्या कहते हैं ना, एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा,
कल ही की बात है…. अपने चैनल पर भारतीय टीम के सलेक्शन पर चीफ सलेक्टर श्रीकान्त से लाइव कर रहे थे, कि उससे पूछ बैठे…. कैसे हो श्रीकान्त, मुझे पहचान रहे हो ना....मैं संकाल....1987 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर हिंदुस्तान की तरफ से था. फिर क्या था… न्यूज़ हेड ने तुंरत ही लाइव ड्रॉप करने का इरादा किया और पीसीआर ने काट कर एंकर को हेंड ओवर कर दिया। संकाल जी उसी बात पर भड़के हुए हैं.
अरे बाप रे...एक और चैप्टर आ रहा है सामने से....
उस चैप्टर के बारे में पढिये अगले बुधवार को.....
इस लेख को आप www.khabardarmedia.com पर भी पढ़ सकते हैं।
पैदल से होंडा सिटी का सफ़र चार साल में सिर्फ फिल्म सिटी ही करा सकता है
पैदल से होंडा सिटी का सफ़र चार साल में सिर्फ फिल्म सिटी ही करा सकता है
(सीधे फिल्म सिटी से).... अंक - 3
क्या संभव जी रजनीगंधा से यहां आते ही थक गए, अचानक गुप्ता जी कोल्ड्रिंक्स की बोतल बढ़ाते हुए बोले। मैं कुछ कहता कि सामने एक होंडा सिटी कार आ कर रुकी. काले रंग का शीशा नीचे गिरा और एक लड़की ने 500 का नोट बढ़ाते हुए मालबोरो का पैकेट मांगा. बाबा रे॥ये क्या...स्टीयरिंग व्हील्स पर सुघीर जी.....कल रात 377 पर रामदेव से उलझे हुए थे… और यहां एक सुन्दर बाला के साथ. पीछे का शीशा उतरा तो दो साफ़-सुथरे… कह सकते हैं चिकने चुपड़े लड़के बैठे हुए थे. लगता है एंकर बाबू काफी ब्रॉडमाइंडेड हैं. इनका टीम वर्क में काफी विश्वास है. कहते हैं ना कि इनपुट और आउटपुट अगर एक साथ काम करें तभी टीआरपी बढ़ सकती है, और ये चारो लगता है कि आज प्राइम टाइम में टीआरपी बढा कर ही मानेंगे.
गुप्ता जी चेंज देकर कहते हैं... संभव भाई, पैदल से होंडा सिटी का सफ़र चार साल में सिर्फ फिल्म सिटी ही करा सकता है. लेकिन नर हो या मादा पहले आपको इसी होंडा सिटी के पीछे वाली सीट पर बैठना पड़ता है. और हां… अब तो वो कानून भी बनने जा रहा है, क्या बोलते हैं....377।
ओहो... सामने से “संकाल” जी भी आ रहे हैं. पहले प्रिंट में थे, अभी-अभी इलेक्ट्रॉनिक में आये हैं. हमेशा खिसियाए रहते हैं. जैसे पूरी फिल्म सिटी इन्हें चिढा रही हो. संकाल जी खिचड़ी काले-सफ़ेद बाल....मुह में हमेशा तिरंगा गुटका. पहले कुरता जींस और चप्पल में और अब शर्ट-पैंट और जूते में. बिहार के मधुबनी के रहने वाले बात-बात में माँ बहन की गाली, गुटके की पीक के साथ निकलती है. साल दो साल पहले चालू हुए अख़बारों को छोड़ दे तो पत्रकारिता के 26 सालों में शायद ही कोई अख़बार उनकी सेवा से वंचित रहा होगा. फिलहाल एक हिंदी चैनल के खेल संपादक हैं. उनका सबसे बड़ा दुश्मन उनका ज्ञान है और उस पर से गलती कर बैठे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में आ के. तो क्या कहते हैं ना, एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा,
कल ही की बात है…. अपने चैनल पर भारतीय टीम के सलेक्शन पर चीफ सलेक्टर श्रीकान्त से लाइव कर रहे थे, कि उससे पूछ बैठे…. कैसे हो श्रीकान्त, मुझे पहचान रहे हो ना....मैं संकाल....1987 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर हिंदुस्तान की तरफ से था. फिर क्या था… न्यूज़ हेड ने तुंरत ही लाइव ड्रॉप करने का इरादा किया और पीसीआर ने काट कर एंकर को हेंड ओवर कर दिया। संकाल जी उसी बात पर भड़के हुए हैं.
अरे बाप रे...एक और चैप्टर आ रहा है सामने से....
उस चैप्टर के बारे में पढिये अगले बुधवार को.....
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About Me

- कुमार संभव
- Ranchi, Kolkatta, New Delhi, India
- मै एक सधारण परिवार से आता हूँ. पांच वर्षों से पत्रकारिता सीख और कर रहा हूँ...बहूत कुछ कहना और सुनना चाहता हूँ... रांची से स्कूलिंग फिर कोलकाता से मॉस कम्युनिकेशन मे स्नातक और कोलकाता फिल्म और टेलिविज़न इंस्टिट्यूट से डिप्लोमा के बाद फिलहाल एक निजी चैनल से जुडा हुआ हूँ.
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