Thursday, March 26, 2009

लोकसभा चुनाव खूंटी

पहले तो इतने दिनों तक गायब रहने के लिया माफ़ी मांगता हूँ. माफ़ तो आप कर ही देंगें और नहीं भी करेंगे तो मेरा क्या कर लेंगे. चलिए मजाक ख़त्म करते हैं और आप को खुशखबरी सुनते हैं. तो बात ये है की आप का ये ब्लॉगर दोस्त महुआ न्यूज़ के लिए लोकसभा चुनाव कवर कर रहा है झारखण्ड में. मेरे लिए ये एक बेहतरीन मौका है अपने देश को जानने का. साथ ही मैने ये फैसला किया है कि पूरे लोकसभा चुनाव के दौरान अपने अनुभवों को आप तक इस ब्लॉग के माध्यम से रखूँगा . तो इसी कड़ी में पेश है पहला संस्मरण ..........

"सम्भव भाई ये खूंटी कितनी दूर है ............." रमेश जो हमारे चैनल में ऑनलाइन एडिटर है ने बड़े सोचकर पूछा। मेरे कुछ कहने से पहले ही कैमरामेन नफीस ने कहा "यार अभी रांची से निकले नही और परेशान हो गए"। मैने कहा "रमेश यार बस 45-50 KM , जल्दी पहुँच जाएंगे"।
तो लोकसभा चुनाव की कवरेज झारखण्ड में हमने खूंटी से शुरू की। अभी अभी बने इस छोटे से जिले में लगभग सभी लोग सभी को जानते हैं। किसी चैनल का OB VAN यहाँ पहुँचना कोतुहल का कारण बना। माथे पर लाल टीका और लाल मोटर साइकिल लिए हमारा स्ट्रिंगर सुभाष चौक पर स्वागत के लिय खड़ा मिला । गाड़ी रुकते ही उसने सड़क पर पान का पीक थूकते हुए बोला "इहाँ मत रुकिए नेताजी लोग स्कूल प मिलेगा ...........सब पहुँच गिया होगा " । हमारे ड्राईवर गणेश को इशारे से गाड़ी पीछे लाने को कह वो आगे बढ़ गया।
हम पहुँचे एक बेहद ख़ूबसूरत स्कूल में, मिशनरी का ये स्कूल मुझे नॉएडा फ़िल्म सिटी के अमिटी स्कूल की याद दिला गया। आप सोच रहे होंगे की झारखण्ड में इतनी तरकि, तो आप को बता दूँ की यहाँ लगभग हर कसबे और शहर में मिशनरी के स्कूल होते हैं जिन्हें गवर्न करने के लिए एक चर्च होता है। इनका मकसद जो भी होगा पर ये काम अच्छा कर रहे हैं। कम से कम इस स्कूल को देखकर तो यही लगता है।
हमें यहाँ संसद का संग्राम नाम का एक प्रोग्राम शूट करना था। मेरी टीम setup लगाने में व्यस्त हो गई। और मुझे मौका मिला वहां के लोगों से बात करने का। हमारे स्ट्रिंगर ने वहां के कुछ छुट भईया नेताओं से परिचय कुछ यूँ कराया " सर इ रामसुंदर दास हैं......... दलित समाज में इनका खुबे चलती है......... इहाँ का पास तगड़ा वोट बैंक हैं।
सर इ कांग्रेस से हैं पहिले बीजेपी में थे.......... खूंटी भर में इन से जादा रुपया किसी के पास नही है........ सर हम कहते हैं कांग्रेस हो या बीजेपी सबे इन्ही को टीकेट दे रहा है"। दांत निपोरते हुए नेता जी हें हें कर रहे थे बोले "सम्भव जी नैट हॉल्ट में सेवा का मौका दें" ।
मेरी नज़र किनारे खड़े कुछ ग्रामीणों पर पड़ी। वो अपने साथ कुछ कागज़ लिए हुए थे। दुबले पतले सूखे हुए से लोग सहमे खड़े थे। मै उनके पास गया पुछा आप लोग किस गावं से आयें हैं? उन के बीच से एक नवजवान आगे आया और बोला "आप उहाँ जा सकते है, बरका गावं का नाम सुने हैं कभी....अरे जइए अपना काम कीजिए ...... नेता लोग आगये हैं" . मैं चुप-चाप खडा था लोकतंत्र के चोथे स्तम्भ पर इस युवक ने सीधा सवाल उठाया था. अगले पल एक बूढा ने कहा " बाबू बुरा मत मानिये गा......इ ऐसे ही बोलता है..... क्या है कि हम लोग का गाँव दो तरफ नदी से घिरा है खूंटी आने जाने के लिए पिछले ३० साल से हम लोग पूल बनाने का मांग करते हैं. मांग पास भी हो जाता है इ देखिये कागज़ उस बूढा ने मुझे दुसरे के हाथ से कागज़ और नक्शा लेकर दिखाने लगा। बूढा आगे बताता है "सर हम लोग रांची में मुख्यमंत्री तक से मिले हैं". मैने कहा "फिर कुछ नहीं हुआ". "हुआ साहेब टेंडर निकला बिल बना पास हुआ बहूत कुछ हुआ.......सब पूल के नाम पे कमाता है".
तभी नेगी ने जोर से आवाज़ लगाई "Sir we are ready to shoot"
और इस तरह हम ने लोकसभा चुनाव कि कवरेज शुरू की
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