Monday, September 14, 2009
सीधे फिल्म सिटी से
फिल्म सिटी की कहानी, कुमार संभव की जुबानी.... अंक-1
सीधे फिल्म सिटी से, जी हाँ…। जो कहा है शायद समझ में भी आ गया होगा। कोई भूमिका नहीं… बस सीधे फिल्म सिटी से. कुछ भी सोचने की जरूरत नहीं है, बस पढिए और मजे लीजिए. सबसे पहले इस फिल्म सिटी का मुख्तसर सा बायोडाटा. न्यू ओखला इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट ऑथोरिटी. घबराइए मत... इसे शॉर्ट फॉर्म में NOIDA कहा जाता है. मायावती ने इसे गौतम बुद्ध नगर बनाया लेकिन इसे NOIDA के नाम से ही जाना जाता है. हाँ… तो भाइयों मै फिर बीजेपी की तरह मुद्दे से भटक रहा हूँ. वापस ट्रैक पर आते हैं. नोयडा के सेक्टर 16A में फिल्म सिटी है. अन्दर आने के तीन रास्ते हैं. दो कानूनी और एक गैर कानूनी. गैर कानूनी इसलिए कि इस रास्ते को देखकर ऐसा लगता है, कभी यहाँ से रास्ता था, लेकिन अब लोहे के चार चार फिट के खंभे लगाकर बंद कर दिया गया है. बाइक, रिक्शा और पैदल सवार कुछ कलाबाजी दिखा कर फिर भी फिल्म सिटी में दाखिल हो जाते हैं. ये कुछ ऐसा ही है जैसे बड़े चैनलों में कुछ उस तीसरे रास्ते से कलाबाजी दिखाकर घुस जाते हैं. अन्दर तो आ गए… और अगर आपके पास कार नहीं है तो भी आप इसी रास्ते से आयेंगे. क्या करे… मीडिया जगह ही ऐसी है…. अगले किसी और अंक में इस रास्ते की चर्चा विस्तार से करेंगे. चलिए हम भी इसी रास्ते से अन्दर चलते हैं. तो भैया हम हैं अब 16A उर्फ़ फिल्म सिटी में… कुछ 200 मीटर पैदल चलने और बड़ी बसों, चमचमाती कारों को पार कर हम एसबीआई एटीएम के सामने सड़क के उस पार गुप्ता जी के ठेले पर हैं. अब आपको ठेले के बारे में कैसे बताएं… बस इतना जान लीजिए भारतीय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया इसी ठेले के सामने पैदा हुआ. बस आज इतना ही. आगे अगला अंक पढिए. देखिए मैंने कोई ब्रेक नहीं लिया और एक ही एपिसोड में कितना बताऊँ. आराम से बैठिए, अगले अंक में गुप्ता जी के ठेले से शुरुआत करेंगे. और हाँ…. ये दुआ सलाम की मुझे आदत नहीं. बस इतना कहूँगा कि मस्त रहो और रहने दो॥
ये लेख आप www.khabardarmedia.com पर भी पढ़ सकते हैं।
सीधे फिल्म सिटी से
एक लंबे अवकाश के बाद फ़िर हाजिर हूँ एक नए कॉलम के साथ ...........
फिल्म सिटी की कहानी, कुमार संभव की जुबानी.... अंक-1
सीधे फिल्म सिटी से, जी हाँ…। जो कहा है शायद समझ में भी आ गया होगा। कोई भूमिका नहीं… बस सीधे फिल्म सिटी से. कुछ भी सोचने की जरूरत नहीं है, बस पढिए और मजे लीजिए. सबसे पहले इस फिल्म सिटी का मुख्तसर सा बायोडाटा. न्यू ओखला इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट ऑथोरिटी. घबराइए मत... इसे शॉर्ट फॉर्म में NOIDA कहा जाता है. मायावती ने इसे गौतम बुद्ध नगर बनाया लेकिन इसे NOIDA के नाम से ही जाना जाता है. हाँ… तो भाइयों मै फिर बीजेपी की तरह मुद्दे से भटक रहा हूँ. वापस ट्रैक पर आते हैं. नोयडा के सेक्टर 16A में फिल्म सिटी है. अन्दर आने के तीन रास्ते हैं. दो कानूनी और एक गैर कानूनी. गैर कानूनी इसलिए कि इस रास्ते को देखकर ऐसा लगता है, कभी यहाँ से रास्ता था, लेकिन अब लोहे के चार चार फिट के खंभे लगाकर बंद कर दिया गया है. बाइक, रिक्शा और पैदल सवार कुछ कलाबाजी दिखा कर फिर भी फिल्म सिटी में दाखिल हो जाते हैं. ये कुछ ऐसा ही है जैसे बड़े चैनलों में कुछ उस तीसरे रास्ते से कलाबाजी दिखाकर घुस जाते हैं. अन्दर तो आ गए… और अगर आपके पास कार नहीं है तो भी आप इसी रास्ते से आयेंगे. क्या करे… मीडिया जगह ही ऐसी है…. अगले किसी और अंक में इस रास्ते की चर्चा विस्तार से करेंगे. चलिए हम भी इसी रास्ते से अन्दर चलते हैं. तो भैया हम हैं अब 16A उर्फ़ फिल्म सिटी में… कुछ 200 मीटर पैदल चलने और बड़ी बसों, चमचमाती कारों को पार कर हम एसबीआई एटीएम के सामने सड़क के उस पार गुप्ता जी के ठेले पर हैं. अब आपको ठेले के बारे में कैसे बताएं… बस इतना जान लीजिए भारतीय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया इसी ठेले के सामने पैदा हुआ. बस आज इतना ही. आगे अगला अंक पढिए. देखिए मैंने कोई ब्रेक नहीं लिया और एक ही एपिसोड में कितना बताऊँ. आराम से बैठिए, अगले अंक में गुप्ता जी के ठेले से शुरुआत करेंगे. और हाँ…. ये दुआ सलाम की मुझे आदत नहीं. बस इतना कहूँगा कि मस्त रहो और रहने दो॥
ये लेख आप www.khabardarmedia.com पर भी पढ़ सकते हैं।
About Me
- कुमार संभव
- Ranchi, Kolkatta, New Delhi, India
- मै एक सधारण परिवार से आता हूँ. पांच वर्षों से पत्रकारिता सीख और कर रहा हूँ...बहूत कुछ कहना और सुनना चाहता हूँ... रांची से स्कूलिंग फिर कोलकाता से मॉस कम्युनिकेशन मे स्नातक और कोलकाता फिल्म और टेलिविज़न इंस्टिट्यूट से डिप्लोमा के बाद फिलहाल एक निजी चैनल से जुडा हुआ हूँ.
Followers
Blog Archive
मेरे पसंदीदा ब्लोग्स
-
जन्मपार का इंतज़ार - वक़्त को बरतने की तरतीब पिछले कुछ सालों में कितनी तेज़ी से बदली है। हमारे पास एक ज़माने में कितना सब्र होता था। कितनी फ़ुरसत होती थी। हम लंबी चिट्ठियाँ लिख...1 week ago
-
तुम्हारा दिसंबर खुदा ! - मुझे तुम्हारी सोहबत पसंद थी ,तुम्हारी आँखे ,तुम्हारा काजल तुम्हारे माथे पर बिंदी,और तुम्हारी उजली हंसी। हम अक्सर वक़्त साथ गुजारते ,अक्सर इसलिए के, हम दोनो...4 years ago
-
Ebook Free Von Punkt zu Punkt - 1 bis 60. Malbuch ab 5 Jahre, by Vicky Bo - Ebook Free Von Punkt zu Punkt - 1 bis 60. Malbuch ab 5 Jahre, by Vicky Bo Auffinden dieser Von Punkt Zu Punkt - 1 Bis 60. Malbuch Ab 5 Jahre, By Vicky Bo a...5 years ago
-
मोदी की सबसे बड़ी चुनौती - मेरा लेख पढ़ें http://abpnews.newsbullet.in/blogtest/74/5474211 years ago
-
.... तो ये प्रियभांशुओं के पीछे बंदूक लेकर दौड़े - आरा के एक गाँव की बात है । तक़रीबन १०-१२ साल पहले की। राजपूत परिवार की एक बेटी जो आरा में रह कर पढाई करती थी उसने अपने एक साथी के साथ भाग कर शादी कर ली... ...14 years ago
-
चंचल बयार.... - एक चंचल बयारों सा मुझको मिला वो जैसे सहरा में पानी का दरिया हँसा हो.... बिलखते दरख्तों की मुस्कान बन कर मुहब्बत की बारिश को बरसा गया वो.... मुफ़लिस से जीवन म...15 years ago
-
-
0 comments:
Post a Comment