Tuesday, October 6, 2009

गुरु तहलका मचा दिए हैं… सबका जो कपडा उतार रहे हैं… दिल खुश हो गया है…

“सीधे फिल्म सिटी से”… अंक - 4
अरे बाप रे एक और चैप्टर आ रहा है सामने से.....एक दम सीधे मेरे ऊपर ही इसकी नज़र पड़ी भईया...अब छिप नहीं सकते। “संभव भाई नमस्ते… ई का कर रहे हैं, आज कल ख़बरदार मीडिया में” ....गुरु तहलका मचा दिए हैं.... सबका जो कपडा उतार रहे हैं। दिल खुश हो गया है। “अरे नहीं भाई… मैं तो खाली फिल्म सिटी घुमा रहा हूँ”। “नहीं भाई…। हम तो दिन में तीन-तीन बार खोलते हैं कि गुरु इस बार किसकी लंगोट उतारोगे....ए गुप्ता जी दू गो चाय बढाइयेगा।”ये हैं के। सी। दूबे…। बनारस के रहने वाले, लेकिन दिल्ली में 10 साल हो गए। इंटर पास कर दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में ग्रेजुएशन...फिर छात्र नेता...फिर लॉ की पढाई॥और दो मर्डर केस, जिसकी आज तक पेशी में जाते हैं. वकील तक का मानना है कि मर्डर इन्होने नहीं किया है, पर ये खुद ही हल्ला करते हैं कि मारा इन्होने ही था. चलिए पूछ लेते हैं.“दूबे जी आप के केस का क्या हुआ ?” क्या होगा संभव भाई….चलिए रहा है. जानते ही हैं, देश में 55000 से ज्यादा मुकदमा लंबित है… मेरा भी वही हाल है. “दूबे जी, वो सिंह जी कह रहे थे कि झूठ्ठे आप का नाम है केस में” ऊ साला सिंहवा का जानता है…. अरे यूनिवर्सिटी में तो लड़कियन के साथ घूमता था… आज बड़का पत्रकार बनता है. कल की ही बात है उसे ई भी नहीं पता था कि 77 के इमरजेंसी में बिहार के मुख्यमंत्री कौन थे, और अपने आपको चैनल का राजनीतिक पत्रकार बताता है.“लेकिन दूबे जी उ बोलते बढ़िया हैं, कल देखे थे... उनका लाइव"ए संभव भाई… कभी ट्रेन या बस में कंघी, चश्मा, किताब बेचने वाले को देखे हैं, कितना बढ़िया बोलता है.... बस इन लोगों को यही मान लीजिये. हां… थोडा बहुत हेर फेर कर के सब वही बोलता है. चलिए कुछ शब्द बताते हैं, देखिएगा...दस लाइन कोई बोलेगा तो हर एक शब्द चार से पांच बार जरुर इस्तेमाल करेगा. कौन से शब्द भाई हमें भी बताइयेगा ?“क्या कुछ खबर है....कहीं ना कहीं ये बात सामने....ऐसी
अटकले...कयास...अंदेशा लगाया जा रहा है कि...विश्वस्त सूत्रों से पता चला....सनसनीखेज मामला सामने आया है.....सबसे पहले जो खबर आ रही है.....इत्यादि. इतना


बोल दूबे जी विजयी मुस्कान बिखेरे और हम सब हंसते हुए गुप्ता जी की दुकान से चल दिए.

0 comments:

Related Posts with Thumbnails

गुरु तहलका मचा दिए हैं… सबका जो कपडा उतार रहे हैं… दिल खुश हो गया है…

| |

“सीधे फिल्म सिटी से”… अंक - 4
अरे बाप रे एक और चैप्टर आ रहा है सामने से.....एक दम सीधे मेरे ऊपर ही इसकी नज़र पड़ी भईया...अब छिप नहीं सकते। “संभव भाई नमस्ते… ई का कर रहे हैं, आज कल ख़बरदार मीडिया में” ....गुरु तहलका मचा दिए हैं.... सबका जो कपडा उतार रहे हैं। दिल खुश हो गया है। “अरे नहीं भाई… मैं तो खाली फिल्म सिटी घुमा रहा हूँ”। “नहीं भाई…। हम तो दिन में तीन-तीन बार खोलते हैं कि गुरु इस बार किसकी लंगोट उतारोगे....ए गुप्ता जी दू गो चाय बढाइयेगा।”ये हैं के। सी। दूबे…। बनारस के रहने वाले, लेकिन दिल्ली में 10 साल हो गए। इंटर पास कर दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में ग्रेजुएशन...फिर छात्र नेता...फिर लॉ की पढाई॥और दो मर्डर केस, जिसकी आज तक पेशी में जाते हैं. वकील तक का मानना है कि मर्डर इन्होने नहीं किया है, पर ये खुद ही हल्ला करते हैं कि मारा इन्होने ही था. चलिए पूछ लेते हैं.“दूबे जी आप के केस का क्या हुआ ?” क्या होगा संभव भाई….चलिए रहा है. जानते ही हैं, देश में 55000 से ज्यादा मुकदमा लंबित है… मेरा भी वही हाल है. “दूबे जी, वो सिंह जी कह रहे थे कि झूठ्ठे आप का नाम है केस में” ऊ साला सिंहवा का जानता है…. अरे यूनिवर्सिटी में तो लड़कियन के साथ घूमता था… आज बड़का पत्रकार बनता है. कल की ही बात है उसे ई भी नहीं पता था कि 77 के इमरजेंसी में बिहार के मुख्यमंत्री कौन थे, और अपने आपको चैनल का राजनीतिक पत्रकार बताता है.“लेकिन दूबे जी उ बोलते बढ़िया हैं, कल देखे थे... उनका लाइव"ए संभव भाई… कभी ट्रेन या बस में कंघी, चश्मा, किताब बेचने वाले को देखे हैं, कितना बढ़िया बोलता है.... बस इन लोगों को यही मान लीजिये. हां… थोडा बहुत हेर फेर कर के सब वही बोलता है. चलिए कुछ शब्द बताते हैं, देखिएगा...दस लाइन कोई बोलेगा तो हर एक शब्द चार से पांच बार जरुर इस्तेमाल करेगा. कौन से शब्द भाई हमें भी बताइयेगा ?“क्या कुछ खबर है....कहीं ना कहीं ये बात सामने....ऐसी
अटकले...कयास...अंदेशा लगाया जा रहा है कि...विश्वस्त सूत्रों से पता चला....सनसनीखेज मामला सामने आया है.....सबसे पहले जो खबर आ रही है.....इत्यादि. इतना


बोल दूबे जी विजयी मुस्कान बिखेरे और हम सब हंसते हुए गुप्ता जी की दुकान से चल दिए.

0 comments: