आप को देश की चिंता खाए जा रही है
क्यों कि आप के हाथ में कुछ नही है ।
और जिसके हाथ में साब कुछ है
वो देश खाए जा रहा है ।
मेरा दिल जलता हुआ सूरज है। बदन के समंदर में बुझता हुआ।
-
बदन में पिघले हुए शब्द बहते रहते हैं। धीपते रहते हैं उँगलियों के पोर। सिगरेट
हाथ में लेती हूँ तो लाइटर की ज़रूरत नहीं होती। दिल कमबख़्त, सोया हुआ
ज्वाला...
1 day ago