Friday, September 18, 2009

गुप्ता जी का ठेला इन्टर्न के लिए भी, और सीईओ के लिए भी....

“सीधे फिल्म सिटी से” अंक - 2
गुप्ता जी का ठेला इन्टर्न के लिए भी, और सीईओ के लिए भी....
हाँ, तो गुप्ता जी के ठेले के सामने ही भारतीय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का जन्म हुआ। गुप्ता जी ने प्रसव पीडा भी देखा और छठी भी मनाई है.... ठेले पर समय के साथ ताम झाम भी बढा है. खुबसूरत रंगबिरंगे कोलड्रिंक्स के बोतल, पानी के बोतल. पानी बेली और हाईटेक ब्रांड के नहीं बाकायदा किनले और एक्वाफीना के होते हैं. भाई... ठेला गुप्ता जी का है फूल्ली ब्रांडेड...
सिगरेट, जी हाँ शायद ही ऐसा सिगरेट का ब्रांड हो जो गुप्ता जी के पास ना हो। इन्टर्न से लेकर सीईओ तक के लिए अलग-अलग किस्म के सिगरेट रखते हैं गुप्ता जी...... नए आये इन्टर्न का सफ़र कैसे छोटी गोल्ड फ्लैक से क्लासिक रेगुलर होते हुए अल्ट्रामाइल्ड, गोल्ड फ्लैक किंग, इंडिया किंग, कार्टर, मोर से होते हुए मालबोरो और बेंसन हेजेज़ तक पहुँचता है.... गुप्ता जी के ठेले ने इसकी गवाही दी है. और हां, कुछ हो ना हो ठेले पर प्लास्टिक के गिलास, मुंग दाल की पैकेट और सॉल्टेड पीनट कभी भी मिलेगा. इसकी जरुरत आगे आपको समझ में आएगी.....
भारत के इतिहास की तरह ठेले पर भी समय-समय पर नॉएडा पुलिस के आक्रमण हुए हैं और हर बार ठेला दुबारा दिल्ली की तरह खडा हो गया है.... फिल्म सिटी का ये ठेला कुछ वैसा ही है, जैसे युवा पत्रकार अत्याचार सहते हुए भी पत्रकारिता में जमा रहता है..... और बड़े ही दुःख के साथ कहना पर रहा है कि जिस ने आत्याचार नहीं सहा, वो पत्रकार नहीं.... ये अलग बात है कि आप चाचा....मामा...काका... ताऊ...मौसा...फूफा....या फिर जी....जा के थ्रू आये हों... लेकिन हम जानते हैं कि आप मानेंगे नहीं। काहे कि ई शोध का विषय है...
हाँ, तो अब छोडिए छिछालेदर... आगे बढ़ते हैं. गुप्ता जी का ठेला आगे भी कई प्रसंग में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. टर्निंग पर आ गए हैं. देखते हैं, कहाँ जाएँ... लेकिन, पहले थोडा सुस्ता लेते हैं......

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हाँ, तो गुप्ता जी के ठेले के सामने ही भारतीय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का जन्म हुआ। गुप्ता जी ने प्रसव पीडा भी देखा और छठी भी मनाई है.... ठेले पर समय के साथ ताम झाम भी बढा है. खुबसूरत रंगबिरंगे कोलड्रिंक्स के बोतल, पानी के बोतल. पानी बेली और हाईटेक ब्रांड के नहीं बाकायदा किनले और एक्वाफीना के होते हैं. भाई... ठेला गुप्ता जी का है फूल्ली ब्रांडेड...
सिगरेट, जी हाँ शायद ही ऐसा सिगरेट का ब्रांड हो जो गुप्ता जी के पास ना हो। इन्टर्न से लेकर सीईओ तक के लिए अलग-अलग किस्म के सिगरेट रखते हैं गुप्ता जी...... नए आये इन्टर्न का सफ़र कैसे छोटी गोल्ड फ्लैक से क्लासिक रेगुलर होते हुए अल्ट्रामाइल्ड, गोल्ड फ्लैक किंग, इंडिया किंग, कार्टर, मोर से होते हुए मालबोरो और बेंसन हेजेज़ तक पहुँचता है.... गुप्ता जी के ठेले ने इसकी गवाही दी है. और हां, कुछ हो ना हो ठेले पर प्लास्टिक के गिलास, मुंग दाल की पैकेट और सॉल्टेड पीनट कभी भी मिलेगा. इसकी जरुरत आगे आपको समझ में आएगी.....
भारत के इतिहास की तरह ठेले पर भी समय-समय पर नॉएडा पुलिस के आक्रमण हुए हैं और हर बार ठेला दुबारा दिल्ली की तरह खडा हो गया है.... फिल्म सिटी का ये ठेला कुछ वैसा ही है, जैसे युवा पत्रकार अत्याचार सहते हुए भी पत्रकारिता में जमा रहता है..... और बड़े ही दुःख के साथ कहना पर रहा है कि जिस ने आत्याचार नहीं सहा, वो पत्रकार नहीं.... ये अलग बात है कि आप चाचा....मामा...काका... ताऊ...मौसा...फूफा....या फिर जी....जा के थ्रू आये हों... लेकिन हम जानते हैं कि आप मानेंगे नहीं। काहे कि ई शोध का विषय है...
हाँ, तो अब छोडिए छिछालेदर... आगे बढ़ते हैं. गुप्ता जी का ठेला आगे भी कई प्रसंग में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. टर्निंग पर आ गए हैं. देखते हैं, कहाँ जाएँ... लेकिन, पहले थोडा सुस्ता लेते हैं......

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