Monday, December 1, 2008

कोंडम माने समझदारी

कोंडम माने समझदारी


और ये समझदारी किन को मिलनी चाहिए ?


या यूँ कहें किस उम्र से मिलनी चाहिए ?


एक से १४ साल तक के बच्चे को क्या जरूरी है की उसे सम्भोग के दौरान इस्तेमाल होने वाले इस वस्तु को जाने ?


क्या आपने कभी कोंडम का पॉकेट पर छापी तस्वीरें देखी है?


ये फोटोग्राफ्स ऐड्स रोकने में कसे मददगार है मुझे समझ नही आता।
इन प्रश्नों से एसा आप को लगेगा कि लो आगया एक और समाज का ठेकेदार, Moral Policing करने।
लेकीन मेरे बंधू जरा गौर से सोचना ।





3 comments:

Anonymous said...

कम्बखत
नामाकूल
नालायक
निक्कमा
कमीना
हरामखोर
बेगैरत
बेशर्मो
कुत्तो
जलिलो .....
अरे भाई सम्भव जी ये विशेषण आपके लिए नहीं...ये उन बेहायायो के लिए है जिन्हें कंडोम इस्तेमाल करना नही आता है...कम से कम आज जो एड्स दिवस है...इस दिन तो इनकी समझ डेवेलोप हो जाना चाहिए...

राजीव करूणानिधि said...

आपने अच्छा प्रयास किया है अपने ब्लॉग को चमकाने का, लेकिन नाम कमाने के और भी अच्छे तरीके हैं मेरे भाई, आप पत्रकार हैं आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी, जरा लिहाज़ तो रखिये, एड्स पर लिखना है तो और भी सनसनीखेज मुआमले हैं उसपे भी कभी गौर फरमाइए...

कुमार संभव said...

bhai ye naam kamane ka chochala nahi hai, meane jo likha yea dikhaeye wo aaj khule taur par samaj me dikh raha hai. aids ke naam par companione jo advertisment ka tarika nikala hai wo mujhe nagawar lagata hai. thoda khule dimag se soochane ki jarrorat hai wase bhi mene wahi taswir chaapi hai jo us product ke packet par aap kahin bhi dekh saakte hain.

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कोंडम माने समझदारी


और ये समझदारी किन को मिलनी चाहिए ?


या यूँ कहें किस उम्र से मिलनी चाहिए ?


एक से १४ साल तक के बच्चे को क्या जरूरी है की उसे सम्भोग के दौरान इस्तेमाल होने वाले इस वस्तु को जाने ?


क्या आपने कभी कोंडम का पॉकेट पर छापी तस्वीरें देखी है?


ये फोटोग्राफ्स ऐड्स रोकने में कसे मददगार है मुझे समझ नही आता।
इन प्रश्नों से एसा आप को लगेगा कि लो आगया एक और समाज का ठेकेदार, Moral Policing करने।
लेकीन मेरे बंधू जरा गौर से सोचना ।





3 comments:

Anonymous said...

कम्बखत
नामाकूल
नालायक
निक्कमा
कमीना
हरामखोर
बेगैरत
बेशर्मो
कुत्तो
जलिलो .....
अरे भाई सम्भव जी ये विशेषण आपके लिए नहीं...ये उन बेहायायो के लिए है जिन्हें कंडोम इस्तेमाल करना नही आता है...कम से कम आज जो एड्स दिवस है...इस दिन तो इनकी समझ डेवेलोप हो जाना चाहिए...

राजीव करूणानिधि said...

आपने अच्छा प्रयास किया है अपने ब्लॉग को चमकाने का, लेकिन नाम कमाने के और भी अच्छे तरीके हैं मेरे भाई, आप पत्रकार हैं आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी, जरा लिहाज़ तो रखिये, एड्स पर लिखना है तो और भी सनसनीखेज मुआमले हैं उसपे भी कभी गौर फरमाइए...

कुमार संभव said...

bhai ye naam kamane ka chochala nahi hai, meane jo likha yea dikhaeye wo aaj khule taur par samaj me dikh raha hai. aids ke naam par companione jo advertisment ka tarika nikala hai wo mujhe nagawar lagata hai. thoda khule dimag se soochane ki jarrorat hai wase bhi mene wahi taswir chaapi hai jo us product ke packet par aap kahin bhi dekh saakte hain.