
Monday, December 1, 2008
कोंडम माने समझदारी

कोंडम माने समझदारी

3 comments:
- Anonymous said...
-
कम्बखत
नामाकूल
नालायक
निक्कमा
कमीना
हरामखोर
बेगैरत
बेशर्मो
कुत्तो
जलिलो .....
अरे भाई सम्भव जी ये विशेषण आपके लिए नहीं...ये उन बेहायायो के लिए है जिन्हें कंडोम इस्तेमाल करना नही आता है...कम से कम आज जो एड्स दिवस है...इस दिन तो इनकी समझ डेवेलोप हो जाना चाहिए... -
December 1, 2008 at 5:02 PM
- राजीव करूणानिधि said...
-
आपने अच्छा प्रयास किया है अपने ब्लॉग को चमकाने का, लेकिन नाम कमाने के और भी अच्छे तरीके हैं मेरे भाई, आप पत्रकार हैं आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी, जरा लिहाज़ तो रखिये, एड्स पर लिखना है तो और भी सनसनीखेज मुआमले हैं उसपे भी कभी गौर फरमाइए...
-
December 3, 2008 at 12:51 PM
- कुमार संभव said...
-
bhai ye naam kamane ka chochala nahi hai, meane jo likha yea dikhaeye wo aaj khule taur par samaj me dikh raha hai. aids ke naam par companione jo advertisment ka tarika nikala hai wo mujhe nagawar lagata hai. thoda khule dimag se soochane ki jarrorat hai wase bhi mene wahi taswir chaapi hai jo us product ke packet par aap kahin bhi dekh saakte hain.
-
December 3, 2008 at 6:48 PM
About Me

- कुमार संभव
- Ranchi, Kolkatta, New Delhi, India
- मै एक सधारण परिवार से आता हूँ. पांच वर्षों से पत्रकारिता सीख और कर रहा हूँ...बहूत कुछ कहना और सुनना चाहता हूँ... रांची से स्कूलिंग फिर कोलकाता से मॉस कम्युनिकेशन मे स्नातक और कोलकाता फिल्म और टेलिविज़न इंस्टिट्यूट से डिप्लोमा के बाद फिलहाल एक निजी चैनल से जुडा हुआ हूँ.
Followers
Blog Archive
मेरे पसंदीदा ब्लोग्स
-
जादू टूटता भी तो है। - There are monsters inside my heart. Every couple of days or months I need to go on a holiday to let them lose in the wilderness of solitude. They graze u...1 month ago
-
तुम्हारे लिए - मैं उसकी हंसी से ज्यादा उसके गाल पर पड़े डिम्पल को पसंद करता हूँ । हर सुबह थोड़े वक्फे मैं वहां ठहरना चाहता हूँ । हंसी उसे फबती है जैसे व्हाइट रंग । हाँ व्...5 years ago
-
Ebook , by Françoise Gilot Carlton Lake - Ebook , by Françoise Gilot Carlton Lake Es gibt zahlreiche Bücher, die Aussichten zu prüfen, in dieser letzten Zeit sein kann. Dennoch könnte es unmöglich...5 years ago
-
मोदी की सबसे बड़ी चुनौती - मेरा लेख पढ़ें http://abpnews.newsbullet.in/blogtest/74/5474211 years ago
-
.... तो ये प्रियभांशुओं के पीछे बंदूक लेकर दौड़े - आरा के एक गाँव की बात है । तक़रीबन १०-१२ साल पहले की। राजपूत परिवार की एक बेटी जो आरा में रह कर पढाई करती थी उसने अपने एक साथी के साथ भाग कर शादी कर ली... ...15 years ago
-
चंचल बयार.... - एक चंचल बयारों सा मुझको मिला वो जैसे सहरा में पानी का दरिया हँसा हो.... बिलखते दरख्तों की मुस्कान बन कर मुहब्बत की बारिश को बरसा गया वो.... मुफ़लिस से जीवन म...16 years ago
-
-
3 comments:
कम्बखत
नामाकूल
नालायक
निक्कमा
कमीना
हरामखोर
बेगैरत
बेशर्मो
कुत्तो
जलिलो .....
अरे भाई सम्भव जी ये विशेषण आपके लिए नहीं...ये उन बेहायायो के लिए है जिन्हें कंडोम इस्तेमाल करना नही आता है...कम से कम आज जो एड्स दिवस है...इस दिन तो इनकी समझ डेवेलोप हो जाना चाहिए...
आपने अच्छा प्रयास किया है अपने ब्लॉग को चमकाने का, लेकिन नाम कमाने के और भी अच्छे तरीके हैं मेरे भाई, आप पत्रकार हैं आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी, जरा लिहाज़ तो रखिये, एड्स पर लिखना है तो और भी सनसनीखेज मुआमले हैं उसपे भी कभी गौर फरमाइए...
bhai ye naam kamane ka chochala nahi hai, meane jo likha yea dikhaeye wo aaj khule taur par samaj me dikh raha hai. aids ke naam par companione jo advertisment ka tarika nikala hai wo mujhe nagawar lagata hai. thoda khule dimag se soochane ki jarrorat hai wase bhi mene wahi taswir chaapi hai jo us product ke packet par aap kahin bhi dekh saakte hain.
Post a Comment