Thursday, December 4, 2008
कहे सम्भव सुनो भाई कबीर
ता चढ़ मुल्ला बांग दे बहिरा क्या बहिरा भया खुदाए॥
थोडी देर के लिए भूल जाइये कि ये कबीर ने लिखा है, मान लीजिये दोहा सम्भव ने लिखा हो।
अब देखिये प्रतिक्रिया :-
१# मामा मस्जिद के अबुल दुखारी ने इस दोहे को इस्लाम के खिलाफ बताया वो केन्द्र सरकार से इस काफिर सम्भव को गिरफ्तार करने कि मांग करते हैं।
२# सपा विधयेक मंगनी मुल्लाना ने इस दोहे को लिखने वाले कि सर कलम करने पर १०० करोड़ के इनाम का एलन किया है ।
३# उल्जुलुलेमा- ऐ - हिंद ने फतवा जारी कर मौत कि सजा सुनाई है।
४# ....................................
and list goes on:
दूसरा दोहा :-
पाहन पूजे हरी मिले तो मै पुजू पहाड़
ता से तो चाकी भली पीस खाए संसार॥
प्रतिक्रिया :-
१# देश-विदेश हिंदू परिषद् ने इसे धार्मिक आस्था पर प्रहार बताया है , कल पुरे देश में चक्का जाम करने का आह्वान किया है ।
२# प्रवीन गड़बदीय ने ८० करोड़ हिन्दुओं का अपमान बताते हुए लेखक को कायर घोषित किया है।
३# देश के साधू संतों ने दोहे कि भर्सना करते हुए आन्दोलन पर जाने कि धमकी दी।
४# ....................................
and list goes on:
तो भाई कबीर क्या समझे ? ये २००८ है ........... अच्छा हुआ कि तुम अभी नही पैदा हुए जो कहना था वो कहे गए, नही तो अपने दोहो कि सफाई देते देते पागल हो जाते ।
कुमार सम्भव
www.aapkibaat.blogspot.com
कहे सम्भव सुनो भाई कबीर
काकड़ पाथर जोड़ के मस्जिद दियो बनाये।
ता चढ़ मुल्ला बांग दे बहिरा क्या बहिरा भया खुदाए॥
थोडी देर के लिए भूल जाइये कि ये कबीर ने लिखा है, मान लीजिये दोहा सम्भव ने लिखा हो।
अब देखिये प्रतिक्रिया :-
१# मामा मस्जिद के अबुल दुखारी ने इस दोहे को इस्लाम के खिलाफ बताया वो केन्द्र सरकार से इस काफिर सम्भव को गिरफ्तार करने कि मांग करते हैं।
२# सपा विधयेक मंगनी मुल्लाना ने इस दोहे को लिखने वाले कि सर कलम करने पर १०० करोड़ के इनाम का एलन किया है ।
३# उल्जुलुलेमा- ऐ - हिंद ने फतवा जारी कर मौत कि सजा सुनाई है।
४# ....................................
and list goes on:
दूसरा दोहा :-
पाहन पूजे हरी मिले तो मै पुजू पहाड़
ता से तो चाकी भली पीस खाए संसार॥
प्रतिक्रिया :-
१# देश-विदेश हिंदू परिषद् ने इसे धार्मिक आस्था पर प्रहार बताया है , कल पुरे देश में चक्का जाम करने का आह्वान किया है ।
२# प्रवीन गड़बदीय ने ८० करोड़ हिन्दुओं का अपमान बताते हुए लेखक को कायर घोषित किया है।
३# देश के साधू संतों ने दोहे कि भर्सना करते हुए आन्दोलन पर जाने कि धमकी दी।
४# ....................................
and list goes on:
तो भाई कबीर क्या समझे ? ये २००८ है ........... अच्छा हुआ कि तुम अभी नही पैदा हुए जो कहना था वो कहे गए, नही तो अपने दोहो कि सफाई देते देते पागल हो जाते ।
कुमार सम्भव
www.aapkibaat.blogspot.com
7 comments:
- राजीव करूणानिधि said...
-
अच्छा है....
- December 4, 2008 at 1:09 PM
- Akhilesh k Singh said...
-
वाह भाई संभव क्या खूब कही कबीर जब थे तब भी कठमुल्लों- पंडितों के निशाने पर रहे और अब जब वे अमर हो गए, तब उनकी राह पर चलने वालो को यही धर्म के ठेकेदार मारने पर उत्तारु हो जाते हैं..लिखते रहिये और ग़लत की खिलाफत करते रहिये हम आप के साथ हैं.
- December 4, 2008 at 3:08 PM
- आकाश सिंह said...
-
संभव भाई जो आपने लिखी है वह सोलह आने सही है
पर क्या करें ये कभी बदल भी तो नहीं सकता है .
आपकी लेखनी से शायद कुछ लोगों को सदबुद्दी मिले .... - December 4, 2008 at 4:50 PM
- धीरेन्द्र पाण्डेय said...
-
हम तो आपके कायल हो गए है संभव गुरु जी..
- December 4, 2008 at 4:52 PM
- समीर सृज़न said...
-
सही कहा है आपने संभव जी...
- December 5, 2008 at 5:14 PM
- डॉ .अनुराग said...
-
ऐसे खतरनाक दोहे लिखोगे तो हंगामा तो बरपा होगा ही भाई ?अब कोई ये नही पूछेगा कबीर के थे या तुम्हारे .....
- December 10, 2008 at 12:32 PM
- प्रकाश गोविंद said...
-
भाई सम्भव जी !
कबीर के समय में भी हंगामा बरपा था, लेकिन लोग शायद आज से ज्यादा समझदार थे !
आज के दौर में अगर आपने लिखा होता तो आपकी रचनाएं सुपर हिट हो जाती ... किताब की बिक्री जबरदस्त होती ! हर "कंट्रोवर्सी" वाली चीज को लोग हाथों-हाथ लेते हैं ! हो सकता है किसी पार्टी का टिकट भी मिल जाता ! फिल्म नगरी से भी एक-आधे निमंत्रण मिल जाते ! यानी कुल मिलाकर फायदा ही फायदा ! - December 16, 2008 at 6:42 PM
About Me
- कुमार संभव
- Ranchi, Kolkatta, New Delhi, India
- मै एक सधारण परिवार से आता हूँ. पांच वर्षों से पत्रकारिता सीख और कर रहा हूँ...बहूत कुछ कहना और सुनना चाहता हूँ... रांची से स्कूलिंग फिर कोलकाता से मॉस कम्युनिकेशन मे स्नातक और कोलकाता फिल्म और टेलिविज़न इंस्टिट्यूट से डिप्लोमा के बाद फिलहाल एक निजी चैनल से जुडा हुआ हूँ.
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7 comments:
अच्छा है....
वाह भाई संभव क्या खूब कही कबीर जब थे तब भी कठमुल्लों- पंडितों के निशाने पर रहे और अब जब वे अमर हो गए, तब उनकी राह पर चलने वालो को यही धर्म के ठेकेदार मारने पर उत्तारु हो जाते हैं..लिखते रहिये और ग़लत की खिलाफत करते रहिये हम आप के साथ हैं.
संभव भाई जो आपने लिखी है वह सोलह आने सही है
पर क्या करें ये कभी बदल भी तो नहीं सकता है .
आपकी लेखनी से शायद कुछ लोगों को सदबुद्दी मिले ....
हम तो आपके कायल हो गए है संभव गुरु जी..
सही कहा है आपने संभव जी...
ऐसे खतरनाक दोहे लिखोगे तो हंगामा तो बरपा होगा ही भाई ?अब कोई ये नही पूछेगा कबीर के थे या तुम्हारे .....
भाई सम्भव जी !
कबीर के समय में भी हंगामा बरपा था, लेकिन लोग शायद आज से ज्यादा समझदार थे !
आज के दौर में अगर आपने लिखा होता तो आपकी रचनाएं सुपर हिट हो जाती ... किताब की बिक्री जबरदस्त होती ! हर "कंट्रोवर्सी" वाली चीज को लोग हाथों-हाथ लेते हैं ! हो सकता है किसी पार्टी का टिकट भी मिल जाता ! फिल्म नगरी से भी एक-आधे निमंत्रण मिल जाते ! यानी कुल मिलाकर फायदा ही फायदा !
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