मै एक सधारण परिवार से आता हूँ. पांच वर्षों से पत्रकारिता सीख और कर रहा हूँ...बहूत कुछ कहना और सुनना चाहता हूँ... रांची से स्कूलिंग फिर कोलकाता से मॉस कम्युनिकेशन मे स्नातक और कोलकाता फिल्म और टेलिविज़न इंस्टिट्यूट से डिप्लोमा के बाद फिलहाल एक निजी चैनल से जुडा हुआ हूँ.
जन्मपार का इंतज़ार
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वक़्त को बरतने की तरतीब पिछले कुछ सालों में कितनी तेज़ी से बदली है। हमारे
पास एक ज़माने में कितना सब्र होता था। कितनी फ़ुरसत होती थी। हम लंबी
चिट्ठियाँ लिख...
तुम्हारा दिसंबर खुदा !
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मुझे तुम्हारी सोहबत पसंद थी ,तुम्हारी आँखे ,तुम्हारा काजल तुम्हारे माथे पर
बिंदी,और तुम्हारी उजली हंसी। हम अक्सर वक़्त साथ गुजारते ,अक्सर इसलिए के, हम
दोनो...
.... तो ये प्रियभांशुओं के पीछे बंदूक लेकर दौड़े
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आरा के एक गाँव की बात है । तक़रीबन १०-१२ साल पहले की। राजपूत परिवार की एक
बेटी जो आरा में रह कर पढाई करती थी उसने अपने एक साथी के साथ भाग कर शादी कर
ली... ...
चंचल बयार....
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एक चंचल बयारों सा मुझको मिला वो
जैसे सहरा में पानी का दरिया हँसा हो....
बिलखते दरख्तों की मुस्कान बन कर
मुहब्बत की बारिश को बरसा गया वो....
मुफ़लिस से जीवन म...
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