Wednesday, October 7, 2009

तो ये रहे सारे के सारे दिग्गजों और पिद्दियों के नाम जिसने मुझे धकियाया है

सीधे फिल्म सिटी से”… अंक - 5

अरे हांगलती हो गई. कोई भी धारावाहिक से पहले एक वैधानिक चेतावनी दी जाती है. मैं तो ये बताना भूल ही गया. तो हांवैधानिक चेतावनी सुन लेंअगर पढ़ना-लिखना आता हो तो पढ़ लें.
सीधे फिल्म सिटी सेनामक कॉलम में छपने वाले सारे लेख यथार्थ के बेहद करीब हैं. या कह सकते हैं कि यथार्थ है. इसमें प्रयुक्त नाम और स्थान वास्तविक हैं. अगर आपका नाम किसी पात्र से मिलता-जुलता हो तो ये मात्र संयोग नहीं है, मैंने जानबूझकर आपका नाम लिखा है. अगर आपने ऐसा कभी कहा या किया नहीं है तो भी निश्चिंत रहिये. मीडिया में रहते हुए आज कल करेंगे ही. हांख़बरदार मीडिया जो ये साईट है, मेरे लिखे हर शब्द, मात्रा, वाक्य और लेख के लिए जिम्मेदार हैं, क्योंकि मैं जानता हूँ कि मुझे भड़काया गया है ये सब लिखने के लिए और इसमें प्रमुख हांथ, लात, अंगुली, माथा, सर सब ख़बरदार मीडिया के राजीव जी, समीर जी, प्रभात जी और आकाश जी का है. कुछ लोग परोक्ष रूप से अंगुली किये हैं, उनमें लोकेश जी और विनीत जी हैं. विनीत जी का नाम यहां इसलिए लिख रहा हूं कि कभी आगे वे जरुर आग मैं घी डालेंगे.
तो ये रहे सारे के सारे दिग्गजों और पिद्दियों के नाम जिसने इस कॉलम को शुरू करने के लिए मुझे धकियाया है. हां तो भाई अब जिसको जो उखाड़ना है उखाड़ ले. वैसे भी मीडिया में कोई कुछ उखाड़ नहीं सकता बस थोडी देर के लिए हिला भर सकता है. और हम ठहरे साधू-संत टाईप के दो नम्बर आदमी भईयाकोई फर्क नहीं पड़ता. तो बेकार में मेरे पीछे टाईम लगा के अपना फालतू टाईम किसी मुझसे फालतू या आप अपना काम करने मैं लगायें. ये रहा वैधानिक चेतावनी. तो मिल गया और डीकोरम भी पूरा हो गया. मेरा लेख भी जायज हो गया. पहले बेचारा नाजायज था अब इतने सारे बाप मिल गए इसे अब तो बस ये सांड की तरह फिल्म सिटी में घूमेगा और जिसकी चाहे मारेगा

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सीधे फिल्म सिटी से”… अंक - 5

अरे हांगलती हो गई. कोई भी धारावाहिक से पहले एक वैधानिक चेतावनी दी जाती है. मैं तो ये बताना भूल ही गया. तो हांवैधानिक चेतावनी सुन लेंअगर पढ़ना-लिखना आता हो तो पढ़ लें.
सीधे फिल्म सिटी सेनामक कॉलम में छपने वाले सारे लेख यथार्थ के बेहद करीब हैं. या कह सकते हैं कि यथार्थ है. इसमें प्रयुक्त नाम और स्थान वास्तविक हैं. अगर आपका नाम किसी पात्र से मिलता-जुलता हो तो ये मात्र संयोग नहीं है, मैंने जानबूझकर आपका नाम लिखा है. अगर आपने ऐसा कभी कहा या किया नहीं है तो भी निश्चिंत रहिये. मीडिया में रहते हुए आज कल करेंगे ही. हांख़बरदार मीडिया जो ये साईट है, मेरे लिखे हर शब्द, मात्रा, वाक्य और लेख के लिए जिम्मेदार हैं, क्योंकि मैं जानता हूँ कि मुझे भड़काया गया है ये सब लिखने के लिए और इसमें प्रमुख हांथ, लात, अंगुली, माथा, सर सब ख़बरदार मीडिया के राजीव जी, समीर जी, प्रभात जी और आकाश जी का है. कुछ लोग परोक्ष रूप से अंगुली किये हैं, उनमें लोकेश जी और विनीत जी हैं. विनीत जी का नाम यहां इसलिए लिख रहा हूं कि कभी आगे वे जरुर आग मैं घी डालेंगे.
तो ये रहे सारे के सारे दिग्गजों और पिद्दियों के नाम जिसने इस कॉलम को शुरू करने के लिए मुझे धकियाया है. हां तो भाई अब जिसको जो उखाड़ना है उखाड़ ले. वैसे भी मीडिया में कोई कुछ उखाड़ नहीं सकता बस थोडी देर के लिए हिला भर सकता है. और हम ठहरे साधू-संत टाईप के दो नम्बर आदमी भईयाकोई फर्क नहीं पड़ता. तो बेकार में मेरे पीछे टाईम लगा के अपना फालतू टाईम किसी मुझसे फालतू या आप अपना काम करने मैं लगायें. ये रहा वैधानिक चेतावनी. तो मिल गया और डीकोरम भी पूरा हो गया. मेरा लेख भी जायज हो गया. पहले बेचारा नाजायज था अब इतने सारे बाप मिल गए इसे अब तो बस ये सांड की तरह फिल्म सिटी में घूमेगा और जिसकी चाहे मारेगा

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